कुमाउनी पत्रिका दुदबोली के वार्षिकांक का पर्वतीय सभा लखनपुर में आज विमोचन हुआ।इस दौरान पत्रिका में छपे लेखों,कविताओं
पर चर्चा होने के साथ साथ कुमाउनी के विकास पर भी चर्चा हुई।
विमोचन कार्यक्रम में बोलते हुए प्रो गिरीश चंद्र पंत ने कहा पत्रिका के संपादक चारु तिवारी और उनकी पूरी टीम साधुवाद की पात्र है जो अपनी माटी के लिए दिल्ली से इतना सराहनीय काम कर रहे हैं।अब हमारी जिम्मेदारी है कि इस पत्रिका को जन जन तक पहुंचाएं
पत्रिका के संपादक मंडल के सदस्य नवेंदु मठपाल ने जानकारी दी कि दुदबोली का यह वार्षिकांक हमर पुरख विशेषांक के रूप में निकाला गया है।पत्रिका के संस्थापक संपादक मथुरादत्त मठपाल को याद करते हुए भुवन चंद्र पपनै की कविता मन्खा से शुरू यह अंक उत्तराखंडी लोकभाषाओं के पुरुख जीतसिंह नेगी, शेर सिंह बिष्ट अनपढ़,कन्हैयालाल डंडरियाल,हीरा सिंह राणा,रतन सिंह जौनसारी, भानुराम सुकोटि,चंद्रसिंह राही,कबूतरी देवी,गोबिंद चातक,गोपाल बाबू गोस्वामी,गिरीश तिवारी गिर्दा,वंशीधर पाठक जिज्ञासु,मोहम्मद अली अजनबी के साहित्य पर ढेर सारी बेहतरीन जानकारियां देता है।
अंक में डा प्रभा पंत, रतन सिंह किरमोलिया,उमेश चंद्र बंदूनी,महावीर रवांल्टा,गजेन्द्र सिंह पांगती,नीलिमा आचार्य की कुमाऊनी,गढ़वाली कहानियां और दामोदर जोशी,राजाराम विद्यार्थी,निखिलेश उपाध्याय,नवीन बिष्ट,महेशानंद गौड़ ,अर्जुन शर्मा की कुमाऊनी,गढ़वाली,जौनसारी कविताएं प्रकाशित हैं।
उत्तराखंड के चर्चित गीत फ्वा बाग रे और छाना बिलौरी झन दिया बाज्यू पर सारगर्भित आलेख भी हैं।
पत्रिका में लोकथात के तहत गंभीर आलेख होने के साथ साथ उत्तराखंड की लोकभाषाओं पर लिखे उपन्यास भाबर,पुस्तक किरसाण और फिल्म पितृकुडा की समीक्षा भी प्रकाशित हे।
कार्यक्रम के दौरान तय किया गया कि प्रत्येक माह के प्रथम रविवार को उत्तराखंड लोकभाषाओं को लेकर एक कार्यक्रम जरूर किया जाएगा,साथ ही हर तीन महीने में स्कूलों बच्चों के साथ लोकभाषा पर एक वृहद कार्यक्रम भी किया जाएगा।
इस मौके पर निखिलेश उपाध्याय, डा डी एन जोशी,भुवन पपने,हरिमोहन मोहन,नवीन तिवारी,राजाराम विद्यार्थीमुरलीधर कापड़ी,चंद्रप्रकाश खाती,शंभू दत्त छिमवाल,विशंभर दत्त पंत, धर्मेंद्र नेगी मौजूद रहे।